सुनो सुनो !!
( तर्ज - ये दुनियावालो , जागो जरा )
शेगांव में नौबद बाज रही ,
ऐ दुनियावालो । जागो जरा ।
जाहिर है , सन्त वहाँ बैठे ,
तुम जाके दर्शन पावो वहाँ || टेका ||
एक विशाल सुन्दर मन्दर है ,
नीचे है समाधी स्थान बड़ा ।
कुछ फूल फलों को लेकर के ,
फिर जाते - जाते गावो वहाँ ॥१ ॥
लगती है समाधी भू - घरमें ,
वहाँ सूक्ष्म ज्योति जलती है ।
उस ज्योतिमें ज्योत मिला करके ,
फिर प्रेम रूप में न्हावों वहाँ ॥२ ॥
एक ध्वनी गूंजती रहती है ,
जो ' सोऽहं ' ' सोऽहं ' कहती है ।
तुम बारीक कान लगा करके ,
उस अजपा को
सुन घ्यावो वहाँ ॥३ ॥
लगता है पता उसके अन्दर ,
वह सन्त अवलिया । जागृत है ।
फिर व्यसन - दान देकर आवो ,
संकल्प करावो भाव वहाँ ॥४ ॥
सब पातक हरन किया उसने ,
जबसे तुमने दुर्गुण तजा ।
तुकड्या कहे , सन्त वही होते ,
अपनापन ही सर्वत्र जहाँ ॥५ ॥
गण गण गणात बोते
उत्तर द्याहटवा